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आओ भक्तों तुम्हें दिखाऊं झांकी हिंदुस्तान की इस मि

आओ भक्तों तुम्हें दिखाऊं झांकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

जहाँ चिंगारी उठि थी दिल्ली में वो कॉलेज है
मुम्बई हो या पटना हो, चेन्नई से भी मैसेज है
बैंगलोर ने दिया जवाब, बंगाल भी रंगरेज़ है
पूरब में जो देखा तो आसाम को भी परहेज़ है
देखलो ये तस्वीरें अपने विरोध की और मान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

चलो चले हम दिल्ली को जहाँ पड़े, मक्कार बड़े
लायक़ नही ये कुर्सी के फिर भी हैं अधिकार जड़े
झूठों के सरताज हैं ये, सेवक नही क्षतिकार बड़े
चक्रव्यूह में झूठों की हम हैं सच की दीवार खड़े
क्या और विशेषण दूँ तुमको नेता नामक शैतान की 
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

देख के जिसको पत्रकारिता ने शर्म से सर झुकाया है
ये इसी देश की मीडिया है ये इसी देश की मीडिया है
लोकतंत्र का चौथा स्तंम्भ जो एक ज़माने कहलाया है
आज उसी ने हर जगह पर झूठ झूठ फहलाय है
चलो बात यहीं पर छोड़ दें इन झूठों की और लान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

जामिया वाला कॉलेज देखो यहाँ चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खाई यहाँ पुलिस की लाठियाँ
एक तरफ से गोले दन दन एक तरफ थी टोलियाँ
लड़ने वाले बोल रहे थे इंक़लाब की बोलियाँ
यहाँ बचा ली छात्रों ने भी आत्मा संविधान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

©मोदस्सिर अहमद #CAA #NCR #NPR #JMI #AMU #JNU #REPUBLICDAY #Aawaaz #गोदी_मीडिया #संविधान
आओ भक्तों तुम्हें दिखाऊं झांकी हिंदुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

जहाँ चिंगारी उठि थी दिल्ली में वो कॉलेज है
मुम्बई हो या पटना हो, चेन्नई से भी मैसेज है
बैंगलोर ने दिया जवाब, बंगाल भी रंगरेज़ है
पूरब में जो देखा तो आसाम को भी परहेज़ है
देखलो ये तस्वीरें अपने विरोध की और मान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

चलो चले हम दिल्ली को जहाँ पड़े, मक्कार बड़े
लायक़ नही ये कुर्सी के फिर भी हैं अधिकार जड़े
झूठों के सरताज हैं ये, सेवक नही क्षतिकार बड़े
चक्रव्यूह में झूठों की हम हैं सच की दीवार खड़े
क्या और विशेषण दूँ तुमको नेता नामक शैतान की 
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

देख के जिसको पत्रकारिता ने शर्म से सर झुकाया है
ये इसी देश की मीडिया है ये इसी देश की मीडिया है
लोकतंत्र का चौथा स्तंम्भ जो एक ज़माने कहलाया है
आज उसी ने हर जगह पर झूठ झूठ फहलाय है
चलो बात यहीं पर छोड़ दें इन झूठों की और लान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

जामिया वाला कॉलेज देखो यहाँ चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खाई यहाँ पुलिस की लाठियाँ
एक तरफ से गोले दन दन एक तरफ थी टोलियाँ
लड़ने वाले बोल रहे थे इंक़लाब की बोलियाँ
यहाँ बचा ली छात्रों ने भी आत्मा संविधान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

©मोदस्सिर अहमद #CAA #NCR #NPR #JMI #AMU #JNU #REPUBLICDAY #Aawaaz #गोदी_मीडिया #संविधान