मेरी लिखने की शुरुवात अल्लाह से ही हुई। पहली शायरी में अल्लाह से ही शिकायत थी। फिर ये लिखा जिसे काफी लोगो ने ना पसन्द किया " सारे पन्ने खाली छोड़ दिये, मेरे नसीब के इम्तिहान में अल्लाह ज़रा नालायक निकला।" और फिर ये "नसीब के कुछ काले पन्ने और उन पर बिखरी स्याही, वाह इलाही! वाह इलाही ! वाह इलाही!
एक अरसा बिता दिया अल्लाह से शिकायत करने में। सारा कसूर अल्लाह पे दे मेरा।
फिर
धीरे धीरे मेरी डायरी में अल्लाह से शिकायतों के पन्ने कम होने लगे। (जब से आप और मैं हम हो गए है मेरी डायरी में अल्लाह से शिकायतों के पन्ने कम हो गए है)
आज मैं अल्लाह से ना केवल माफी मांग रहा हूँ बल्कि आज सारी शिकायतें खत्म कर रहा हूँ।
मेरी कलम अब कभी अल्लाह से शिकायत नहीं करेगी। 😊 #yqbaba#yqdidi#ohhpersonal