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नित नित ध्यान लगाये,सु सम्पन्न हो काज, न करो ऐसा क

नित नित ध्यान लगाये,सु सम्पन्न हो काज,
न करो ऐसा कर्म तुम,करनी पड़े फिर लाज,

सब जन का मान कर,बन जाये सब हितैषी,
याद  करे  जमाना , छाप  छोड़ दे  ऐसी,

निशिदिन काज कर्म कर,पूर्ण हो जीवन सार,
भटकना न लक्ष्य से,सँवर जायेगा संसार।



 प्रतियोगिता : BKJ-9
समय सीमा : 9:15AM-10:00PM
दिनाँक : 07.11.2020
विषय : स्वैछिक विषय पर एक कुंडलिया लिखना है।
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कुंडलिया छंद की परिभाषा
———————————------------ 
–कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।
नित नित ध्यान लगाये,सु सम्पन्न हो काज,
न करो ऐसा कर्म तुम,करनी पड़े फिर लाज,

सब जन का मान कर,बन जाये सब हितैषी,
याद  करे  जमाना , छाप  छोड़ दे  ऐसी,

निशिदिन काज कर्म कर,पूर्ण हो जीवन सार,
भटकना न लक्ष्य से,सँवर जायेगा संसार।



 प्रतियोगिता : BKJ-9
समय सीमा : 9:15AM-10:00PM
दिनाँक : 07.11.2020
विषय : स्वैछिक विषय पर एक कुंडलिया लिखना है।
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कुंडलिया छंद की परिभाषा
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–कुंडलिया छंद दोहा और रोला छंद से मिलकर बनता है।इसमें छह पंक्तियां होती हैं।पहले दो पंक्ति दोहा छंद की और आगे की चार पंक्ति रोला छंद की होते हैं।दोहा छंद का चौथा चरण रोला छंद की शुरुआत करता है।यह छंद जिस शब्द से शुरू होता है,उसी शब्द पर समाप्त होता है।