एक दिन जब झुर्रियां कुछ उभर सी आएँगी जब रेखाएं भी मिटती सी मालुम होंगी हां कुछ उलझन तब भी होंगी और कुछ परेशानी उन परेशानियों की गाथा सुनाऊँगी और तुम सहजता से सुन लेना और मुझे कहते रहने का हक़ देना कुछ बेतुकी कहानियाँ भी कहूँगी और बेकार से सवाल भी और ख़बरदार कोई जवाब दिया या मुझे कुछ समझआने की कोशिश की मैं बस कहूँगी और जब चुप हो जाऊ तब सुनाना मुझे वो कहानी मेरी कहानी | जो मैंने कभी तुमसे कही ही नहीं और कहना तब तक जब तक तम्हारा इंतज़ार एक नयी परेशानी करे जिसे तुमने खुद बुलाया मुझे मेरी वो कहानी सुना जो मैंने तुमसे कभी कही ही नहीं | | ~ निवेदिता #pareshanisepareshanitk