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एक दिन जब झुर्रियां कुछ उभर सी आएँगी जब रेखाएं भ

एक दिन जब झुर्रियां  कुछ उभर सी आएँगी 
जब रेखाएं भी मिटती सी मालुम होंगी 
हां  कुछ उलझन तब भी होंगी 
और कुछ परेशानी 
उन परेशानियों की गाथा सुनाऊँगी 
और 
तुम सहजता से सुन लेना 
और मुझे कहते रहने का हक़ देना 
कुछ बेतुकी कहानियाँ  भी कहूँगी 
और बेकार से सवाल भी 
और 
ख़बरदार 
कोई जवाब दिया 
या मुझे कुछ समझआने की कोशिश की 
मैं बस कहूँगी 
और 
जब चुप हो जाऊ 
तब सुनाना मुझे वो कहानी    
मेरी कहानी | 
जो मैंने कभी  
तुमसे कही ही नहीं 
और कहना तब तक 
जब तक 
तम्हारा इंतज़ार एक नयी परेशानी करे 
जिसे तुमने खुद बुलाया 
मुझे 
मेरी 
वो कहानी सुना 
जो मैंने तुमसे कभी कही ही नहीं | |  
 


~ निवेदिता #pareshanisepareshanitk
एक दिन जब झुर्रियां  कुछ उभर सी आएँगी 
जब रेखाएं भी मिटती सी मालुम होंगी 
हां  कुछ उलझन तब भी होंगी 
और कुछ परेशानी 
उन परेशानियों की गाथा सुनाऊँगी 
और 
तुम सहजता से सुन लेना 
और मुझे कहते रहने का हक़ देना 
कुछ बेतुकी कहानियाँ  भी कहूँगी 
और बेकार से सवाल भी 
और 
ख़बरदार 
कोई जवाब दिया 
या मुझे कुछ समझआने की कोशिश की 
मैं बस कहूँगी 
और 
जब चुप हो जाऊ 
तब सुनाना मुझे वो कहानी    
मेरी कहानी | 
जो मैंने कभी  
तुमसे कही ही नहीं 
और कहना तब तक 
जब तक 
तम्हारा इंतज़ार एक नयी परेशानी करे 
जिसे तुमने खुद बुलाया 
मुझे 
मेरी 
वो कहानी सुना 
जो मैंने तुमसे कभी कही ही नहीं | |  
 


~ निवेदिता #pareshanisepareshanitk