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काव्य संख्या-106 ===================== बेटी ======

 काव्य संख्या-106
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बेटी
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समय की परिवर्तनशीलता को देखो
कभी पराई समझी जाती थी बेटी
घर की मेहमान होती थी बेटी 
घर से बिदा होती थी बेटी
 काव्य संख्या-106
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बेटी
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समय की परिवर्तनशीलता को देखो
कभी पराई समझी जाती थी बेटी
घर की मेहमान होती थी बेटी 
घर से बिदा होती थी बेटी

काव्य संख्या-106 ===================== बेटी ===================== समय की परिवर्तनशीलता को देखो कभी पराई समझी जाती थी बेटी घर की मेहमान होती थी बेटी घर से बिदा होती थी बेटी