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ज्यों बिखरता है नक्षत्र कोई शून्य के अंक में....,

ज्यों बिखरता है नक्षत्र कोई शून्य के अंक में...., 
ज्यों बुझती है ओस कोई प्रकाश के अंश में...., 
ज्यों खोती है रौशनी कहीं तिमिर के हाहाकार में..., 
ज्यों ढलता है दिवस कोई मुग्ध रात्रि के प्रहार में..., 
त्यों बिसर रहा है सुसमय सर्वस्व शुभ की आस में.., 
त्यों बुझ रहीं आशाएं सभी निराशा के जाल में..., 
त्यों बिखर रहे हैं स्वप्न समस्त समय की चाल में..., 
त्यों कर रहा है द्वन्द चित्त विरल शांति की आह में....।

©Sonam Verma #Ambitions #journeyoflife#innerfight#hopelessness
ज्यों बिखरता है नक्षत्र कोई शून्य के अंक में...., 
ज्यों बुझती है ओस कोई प्रकाश के अंश में...., 
ज्यों खोती है रौशनी कहीं तिमिर के हाहाकार में..., 
ज्यों ढलता है दिवस कोई मुग्ध रात्रि के प्रहार में..., 
त्यों बिसर रहा है सुसमय सर्वस्व शुभ की आस में.., 
त्यों बुझ रहीं आशाएं सभी निराशा के जाल में..., 
त्यों बिखर रहे हैं स्वप्न समस्त समय की चाल में..., 
त्यों कर रहा है द्वन्द चित्त विरल शांति की आह में....।

©Sonam Verma #Ambitions #journeyoflife#innerfight#hopelessness
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Sonam Verma

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