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मेरे बिस्तर की उन तलवारों से कोई तो गुफ्तगू करे, व

मेरे बिस्तर की उन तलवारों से
कोई तो गुफ्तगू करे,
वे शायद कुछ कहना चाहती हैं;
शब (रात) भर इठलाती हैं, 
कौन जाने आखिर मुझसे क्या चाहती हैं;
कुछ तो मजमून (बात) है इनमें
जो इतना खड़कड़ाती हैं,
रातों को खुशनुमा, 
दिनों को महरूम (मृत) कर जाती हैं| Another one on nights. 😊
मेरे बिस्तर की उन तलवारों से
कोई तो गुफ्तगू करे,
वे शायद कुछ कहना चाहती हैं;
शब (रात) भर इठलाती हैं, 
कौन जाने आखिर मुझसे क्या चाहती हैं;
कुछ तो मजमून (बात) है इनमें
जो इतना खड़कड़ाती हैं,
रातों को खुशनुमा, 
दिनों को महरूम (मृत) कर जाती हैं| Another one on nights. 😊