मेरे बिस्तर की उन तलवारों से कोई तो गुफ्तगू करे, वे शायद कुछ कहना चाहती हैं; शब (रात) भर इठलाती हैं, कौन जाने आखिर मुझसे क्या चाहती हैं; कुछ तो मजमून (बात) है इनमें जो इतना खड़कड़ाती हैं, रातों को खुशनुमा, दिनों को महरूम (मृत) कर जाती हैं| Another one on nights. 😊