सिद्दत कब पागलपण हुई नही मालूम.... हासिल की चाह में कया सही - क्या है - खता नही मालूम...... में जिसके लिए बना हु ... बस वही खास हे दुनिया चाहती ज़रूर है लेकिन बस आस पास हे... कायनात में कायम हो तुम ये खास नही " लेकिन कायनात तुम्हारे द्वारा क्या कायम करवाना चाहती है ये खास हे... ©G0V!ND DHAkAD I m mad about