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सिद्दत कब पागलपण हुई नही मालूम.... हासिल की चाह म

सिद्दत कब पागलपण हुई नही मालूम.... 
हासिल की चाह में 
कया सही - क्या है - खता 
नही मालूम......
में जिसके लिए बना हु ... 
बस वही खास हे 
 दुनिया चाहती ज़रूर है
 लेकिन बस आस पास हे...
कायनात में कायम हो तुम
 ये खास नही "
 लेकिन कायनात तुम्हारे द्वारा
 क्या कायम करवाना चाहती है
 ये खास हे...

©G0V!ND DHAkAD I m mad about
सिद्दत कब पागलपण हुई नही मालूम.... 
हासिल की चाह में 
कया सही - क्या है - खता 
नही मालूम......
में जिसके लिए बना हु ... 
बस वही खास हे 
 दुनिया चाहती ज़रूर है
 लेकिन बस आस पास हे...
कायनात में कायम हो तुम
 ये खास नही "
 लेकिन कायनात तुम्हारे द्वारा
 क्या कायम करवाना चाहती है
 ये खास हे...

©G0V!ND DHAkAD I m mad about