बहुत हो गया ज़ुल्म अब ना सहेंगे किसी हाल, करना होगा कुछ इज्ज़त की खातिर तभी होगा अंताल, गुस्से से हम तो हो गए .............लालम- लाल, भला तुम ही बताओ ..........यह भी कोई इज़्ज़त हुईं, कभी गिने फलों में तो कभी हम सब्जी हो गए भाई, मानसिकता बिमार हो गई हमारी, सोच सोच कर हो गए हैं बद-हाल, हम जा रहे अस्पताल, मांग हमारी करवाना होगा आड़ापंचताल, हम हर व्रत में फलाहार खाएं जाए, व्रत में हो ग्रहण शोभा बढ़ जाए, फिर भी बेइज्जत हो फेंके जाएं, जऱा से महंगे क्या हुए लोक नाक मुंह चिढ़ाए, भला प्याज़ महंगा हो जाए तो रहा ना जाए, हमारा मोल बढ़े तो लोग हमें खाना छोड़ जाए। अब हम भी देखेंगे हमारे बिना कैसे होगा उत्सव, कैसे होगा उच्चताल, हम जा रहे रुठ कर अब कर रहे हड़ताल, माफ करना हमारा तुम सब आड़ाचौताल। *🌸Any writer can write anything about "Funny Friday "टमाटरों की हड़ताल" but remember the rule🌸* 👇RULES📜👇 *👉 The word given above must come atleast once in your write-up.* *👉Poem should be in maximum 20lines/200 words,*