जो मेरा है नही भला उसपे क्यों इतराऊँ एक दिन जल इस जीवन की अग्नि मे मै राख हो धुँआ बन उड़ जाऊँ क्या साथ लाया था क्या साथ ले जाऊँगा मोह माया के चक्कर मे पड़ नित्त दिन खपाऊंगा मर कर भी न मिट पाएगी यह अभिलाषा आया था जो कर्म करने उससे भी भटक जाऊँगा धूल बनकर उड़ता हूँ इस चमन मे क्या पता किसी दर पे पहुँच जाऊँगा उल्टे सीधे अल्फाज लिखने वाला मै मूर्ख भला समाज को क्या दे पाऊंगा मै #अंजान था #अंजान हूँ #अंजान ही सदैव कहलाऊंगा................................... #निखिल_कुमार_अंजान..... #nojoto #nojoto_family #निखिल_कुमार_अंजान....... #मेरी_डायरी...