घर के हर एक हिस्से मैं बसी हैं ओ पर आज ओ नहीं हैं घर मैं मैने ही उसे जुदा किया अपने हाथो से रोकना था मेरे कलेजे के टुकडे को फिर भी मैं रोक न सका ये कैसी बेबसी मजबुरी हैं... ©Shubhangi Sutar #Bidai