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बरस जाओ रे काले बदरा के नील गगन है स्याह हुआ नयन

बरस जाओ रे काले बदरा के नील
 गगन है स्याह हुआ नयन बहुत 
हैं आतुर मिलने को बेचैन 
है क्यूं मन कैसे कहना...
 -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73
  #कविता_1