एक किस्सा एक मोड़ से मैं निकली उस मोड़ खड़े मुझे तुम टकराए टककर टक्कर में बात चली मुलाकातें बड़ी सूरज से रात ढले इक रोज़ खामोशी आयी तुम्हे ना भायी मुझे सताई अब शामें कितनी सूनी हैं अब हम दिन और रात से खाली हैं अब मोड़ मोड़ में कैसी नुमाइश अब सीधी सड़कें जाती है ©Meera Bawri किस्सा #Endless #Nojoto #kissekahaniyanaurkavitayen