मस्तमौला इक बयार को, यूँ ही बेकार कर गयी, ये ख्वाहिश कैसी थी, वो दुनिया को प्यार कर गयी। शिलाओं से गुजरती थी, वो लहरों सी उठती थी, तुम्हारे एहसास में नदी बनके, हर बाधा पार कर गयी। वो एक आंधी-सी थी, जो रोक दी सदा तुमने, बेआबरू होकर उसे ही ज़िन्दगी, शर्मसार कर गयी। कमल कीचड़ का वासी है, ये भी लांछन लगा दिया, किसी घर की माँ-बेटी, ये भी स्वीकार कर गयी। तुम अपने दिल को पूछो, पूछो हरकत-ए-नापाक से, क्या वो ऊँगली सही उठी, जो उसे गुनहगार कर गयी। सवालों के घेरे में देश, सिर्फ तुम्हारी ही बदौलत है, जिसे उद्धार करना आता है, वो तो उद्धार कर गयी। - शितांशु रजत #YQDidi #women #बेआबरू #घरेलू_हिंसा #violence *सवाल *बदसलूकी *Girls *StoryWomen......