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बड़े खामोश बैठे थे, मै और मेरी तन्हाई फिर अंधेर

बड़े  खामोश  बैठे  थे,  मै और मेरी तन्हाई
फिर अंधेरा हुआ ,दिवार  पर  तू  उभर  आई

फिर यादों , संभावनाओ  का एक दौर  चला
वो दौर जिसमें  जिया ना गया ना मौत ही आई

फिर मशवरा  हुआ खुद से कि क्यूँ  ना कही और चले
फिर फैसला हुआ कैसे छोड़  दे जायजाद तेरी याद  जो कमाई कमरे को जानबूझ कर अँधेरा रखा गया,
सच है जिया नहीं गया हमसे।
#जियानहींगया #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
बड़े  खामोश  बैठे  थे,  मै और मेरी तन्हाई
फिर अंधेरा हुआ ,दिवार  पर  तू  उभर  आई

फिर यादों , संभावनाओ  का एक दौर  चला
वो दौर जिसमें  जिया ना गया ना मौत ही आई

फिर मशवरा  हुआ खुद से कि क्यूँ  ना कही और चले
फिर फैसला हुआ कैसे छोड़  दे जायजाद तेरी याद  जो कमाई कमरे को जानबूझ कर अँधेरा रखा गया,
सच है जिया नहीं गया हमसे।
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aj1171234504422

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