Nojoto: Largest Storytelling Platform

तेरे साये में महफूज़ हूँ, बस इतना ही चाहती हूँ..!

 तेरे साये में महफूज़ हूँ,
बस इतना ही चाहती हूँ..!

तुम मुझमें समाये रहो कृष्ण सा,
मैं तुम्हारी राधा होना चाहती हूँ..!

नहीं चाहती तनिक भी प्रसिद्धि तुम बिन,
तुम्हारे संग जीना और मरना चाहती हूँ..!

ख़ुद ख़ाली हो जाऊँ बेशक मैं पर,
जीवन को तुम्हारे खुशियों से भरना चाहती हूँ..!

सुख का सूरज तुम्हें सदा,
मैं ख़ुद को तुम्हारी साँझ करना चाहती हूँ..!

रोक लो अपनी बाँहों में मुझे,
ये गर्व से कहना चाहती हूँ..!

शिवा तुम मेरे आराध्य,
मैं निर्मल गँगा सा बहना चाहती हूँ..!

जन्मों जन्मांतर तक इसी रूप में,
तुम्हारे हृदय में रहना चाहती हूँ..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #chaand #teresang