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समय,सही समय पर अपना खेल बताता है अपना,अपना और पराय

समय,सही समय पर अपना खेल बताता है
अपना,अपना और पराया, पराया ही कहलाता है
होती तो होगी तकलीफ अपनों को दुखी देख कर
कोई कितना भी करे तो तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं है वो
आखिरकार खून, खून के लिए ही हमदर्दी जताता है।
मुझ से उम्मीदें है सबको अपनत्व कि
मेरे दुख में कोई हमदर्दी नहीं जताता है
समय सही समय पर अपना खेल बताता है
अपना,अपना और पराया, पराया ही कहलाता है।
नहीं कहते हम किसी के लिए अपशब्द यहाँ
क्यों कि बैठा है खुदा जो हर गलती का अहसास करता है।
दिखती ही नहीं लोगो को गलतियां अपनी
सच बोलने वालों को समाज गलत बताता है
फिर समय सही समय आने पर अपना खेल बताता है
और फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।



     #shridada #अपनत्व #dikhawa
समय,सही समय पर अपना खेल बताता है
अपना,अपना और पराया, पराया ही कहलाता है
होती तो होगी तकलीफ अपनों को दुखी देख कर
कोई कितना भी करे तो तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं है वो
आखिरकार खून, खून के लिए ही हमदर्दी जताता है।
मुझ से उम्मीदें है सबको अपनत्व कि
मेरे दुख में कोई हमदर्दी नहीं जताता है
समय सही समय पर अपना खेल बताता है
अपना,अपना और पराया, पराया ही कहलाता है।
नहीं कहते हम किसी के लिए अपशब्द यहाँ
क्यों कि बैठा है खुदा जो हर गलती का अहसास करता है।
दिखती ही नहीं लोगो को गलतियां अपनी
सच बोलने वालों को समाज गलत बताता है
फिर समय सही समय आने पर अपना खेल बताता है
और फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।



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