सफ़र-ए-ज़िंदगी में चलना मज़बूरी सा है, साँसों का आना जाना अब मज़दूरी सा है। कमज़ोर मज़बूरियां का हवाला अब रहने दें, फिर भी ग़ैर जरूरी होकर तू जरूरी सा है। 🎀 Challenge-313 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 30 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।