मासूम वो मासूम था दुनियादारी से बिल्कुल अनजान अपनों के साथ खुश था एक पल में दुनिया उसकी उजड़ गई पापा का साथ छूट गया घर में कोई नहीं था कमाने वाले रोते बिलखते भाई बहनों को देखा तो अपने आसुं पोछ लिए घर में खाने को रोती नहीं था रिश्तेदारों ने रिश्ते ही बदल लिए तब उसे अकेले पन का ऐहसास हुए अपने कंधे पर कुछ भारी पन का ऐहसास हुए दो दिन हो गए थे खाने को कुछ नहीं था तब खुद घर से बाहर निकला कमाने को अब कुछ कमा कर आता है एक बेटे का हर फ़र्ज़ निभाता है मुस्कुराते उसको जमाने हुए अब तो बाहर खेलने भी नहीं जाता है अब वो समझदार बेटा कहलाता है अपने सपनों को मार कर हर जिम्मेदारी निभाता है #मासूम, #nojoto_hindi