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एक समय की बात है एक तपस्वी जंगल मैं तपस्या कर रहा

एक समय की बात है एक तपस्वी जंगल मैं तपस्या कर रहा था ।वहां एक लकड़हारा तपस्वी के पास आता है और उनको अपना हाल बताता है कि किस तरह वो रोज लकड़ी काट कर अपना गुजारा करता है।तपस्वी कहता है की यहां से कुछ दूरी पर इमरती लकड़ी के पेड़ हैं जिनको काट कर उसे अच्छी खासी आमदनी मिल जायेगी।
पहले तो उस लकड़हारे को उसकी बात पे विश्वास नही हुआ पर फिर भी जब वो वहां से कुछ दूर गया था सच में वहां पर बहुत सारे इमरती लकड़ी के पेड़ थे।वो बहुत खुस हुआ और तपस्वी का मन ही मन शुक्रिया करने लगा। ऐसे ही पेड़ काटते काटते उसका आमदनी अच्छी होने लगी वो 2=3दिन का गुजारा आराम से करने लगा । एक दिन वो तपस्वी का शुक्रिया करने उनके पास आया तपस्वी ने कहा तुम अभी भी वही हो थोड़ा सा आगे बड़ो आगे तुम्हे कोयले की खदाने मिलेंगी।और सच में वहां कोयला ही कोयला था वो बहुत खुश हुआ और अब कोयला बेच के अपनी आमदनी चलाने लगा।फिर कुछ दिनों बाद वो तपस्वी के पास आया और तपस्वी से बोला की वो बहुत खुश है तपस्वी ने पूछा की क्या तुम अभी वी कोयले तक ही पहुंच पाए हो आज बड़ो आगे तुम्हे चांदी मिलेगा।वहां उसे सच मैं चांदी मिला।चांदी पाकर उसने साड़ी करली और अपनी गृहस्ती बसा ली।अब वो कुछ दिन बाद फिर से जंगल आया वहां तपस्वी से बात कर रहा था तो तपस्वी ने कहा थोड़ा आगे जाओ तुम्हे कुछ और अमूल्य चीज मिलेगी। जैसा तपस्वी ने कहा उसने वही किया और अब उसे सोना मिला ।अब वो राजा की तरह अपना जीवन जीने लगा। उसके 2पुत्र थे,धन संपत्ति थी वो बहुत खुस था।वो जंगल से एक दिन गुजर रहा था तो तपस्वी उसे दिखा वो तपस्वी के पास चला गया और अपने सुखी जीवन के बारे मे तपस्वी को बताने लगा तपस्वी बोला हे पुरुष कभी तो आगे बड़ो आगे और वी अधिक मूल्यवान वस्तु है। वो व्यक्ति वहां से कुछ आगे गया तो उसे वहां हीरे की खान मिली वो बहुत ज्यादा खुश हुआ और अपने राज्य लौट गया। बहुत समय बाद वो तपस्वी से मिलने आया और अपने दिल का हाल बताया कि वो आजकल बहुत बेचैन रहता है तो तपस्वी ने उसे कहा की तुम कल मेरे पास आना। वो व्यक्ति अगले दिन तपस्वी के पास आया और तपस्वी ने उसे आंखे बन्द करके ध्यान लगाने को कहा  पर वो ज्यादा देर वहां रुक नही पाया ऐसा बहुत दिन तक चलता रहा जब वह तपस्वी k पास से जाता तो खुश होकर जाता और वापिस दुखी होकर लौटा करता था। धन आने से पहले वो बहुत खुश रहा करता था पर अब ऐसा नहीं था धन के आने से उसको हर समय भय ,चिंता और बेचैनी होने लगी थी। वह तपस्वी से पूछता है की वे जानते थे की धन कहां है फिर भी उन्होंने जंगल में तपस्या करना क्यों चुना धन के जगह तो तपस्वी बोले अगर मैं धन चुन लेता तो इतना बेफिक्र शांत और भये मुक्त न होता और तुम्हारे जैसे सुकून की तलाश कर रहा होता। पर मैने ध्यान लगाना तपस्या करना चुना इसीलिए मैं खुश हूं।

शिक्षा ---धन से हम कुछ क्षणों की खुशी तो पा सकते हैं पर भय ,बेचैनी और सुकून खो देते हैं , वही पर तपस्या और ध्यान ऐसी अवस्था है जो हमे परम शांति और खुशी देती है।
"अर्थात ध्यान से बड़ा कोई धन नही है।"

©Deepika Vardhan khaani
#kahani 
#Stars
एक समय की बात है एक तपस्वी जंगल मैं तपस्या कर रहा था ।वहां एक लकड़हारा तपस्वी के पास आता है और उनको अपना हाल बताता है कि किस तरह वो रोज लकड़ी काट कर अपना गुजारा करता है।तपस्वी कहता है की यहां से कुछ दूरी पर इमरती लकड़ी के पेड़ हैं जिनको काट कर उसे अच्छी खासी आमदनी मिल जायेगी।
पहले तो उस लकड़हारे को उसकी बात पे विश्वास नही हुआ पर फिर भी जब वो वहां से कुछ दूर गया था सच में वहां पर बहुत सारे इमरती लकड़ी के पेड़ थे।वो बहुत खुस हुआ और तपस्वी का मन ही मन शुक्रिया करने लगा। ऐसे ही पेड़ काटते काटते उसका आमदनी अच्छी होने लगी वो 2=3दिन का गुजारा आराम से करने लगा । एक दिन वो तपस्वी का शुक्रिया करने उनके पास आया तपस्वी ने कहा तुम अभी भी वही हो थोड़ा सा आगे बड़ो आगे तुम्हे कोयले की खदाने मिलेंगी।और सच में वहां कोयला ही कोयला था वो बहुत खुश हुआ और अब कोयला बेच के अपनी आमदनी चलाने लगा।फिर कुछ दिनों बाद वो तपस्वी के पास आया और तपस्वी से बोला की वो बहुत खुश है तपस्वी ने पूछा की क्या तुम अभी वी कोयले तक ही पहुंच पाए हो आज बड़ो आगे तुम्हे चांदी मिलेगा।वहां उसे सच मैं चांदी मिला।चांदी पाकर उसने साड़ी करली और अपनी गृहस्ती बसा ली।अब वो कुछ दिन बाद फिर से जंगल आया वहां तपस्वी से बात कर रहा था तो तपस्वी ने कहा थोड़ा आगे जाओ तुम्हे कुछ और अमूल्य चीज मिलेगी। जैसा तपस्वी ने कहा उसने वही किया और अब उसे सोना मिला ।अब वो राजा की तरह अपना जीवन जीने लगा। उसके 2पुत्र थे,धन संपत्ति थी वो बहुत खुस था।वो जंगल से एक दिन गुजर रहा था तो तपस्वी उसे दिखा वो तपस्वी के पास चला गया और अपने सुखी जीवन के बारे मे तपस्वी को बताने लगा तपस्वी बोला हे पुरुष कभी तो आगे बड़ो आगे और वी अधिक मूल्यवान वस्तु है। वो व्यक्ति वहां से कुछ आगे गया तो उसे वहां हीरे की खान मिली वो बहुत ज्यादा खुश हुआ और अपने राज्य लौट गया। बहुत समय बाद वो तपस्वी से मिलने आया और अपने दिल का हाल बताया कि वो आजकल बहुत बेचैन रहता है तो तपस्वी ने उसे कहा की तुम कल मेरे पास आना। वो व्यक्ति अगले दिन तपस्वी के पास आया और तपस्वी ने उसे आंखे बन्द करके ध्यान लगाने को कहा  पर वो ज्यादा देर वहां रुक नही पाया ऐसा बहुत दिन तक चलता रहा जब वह तपस्वी k पास से जाता तो खुश होकर जाता और वापिस दुखी होकर लौटा करता था। धन आने से पहले वो बहुत खुश रहा करता था पर अब ऐसा नहीं था धन के आने से उसको हर समय भय ,चिंता और बेचैनी होने लगी थी। वह तपस्वी से पूछता है की वे जानते थे की धन कहां है फिर भी उन्होंने जंगल में तपस्या करना क्यों चुना धन के जगह तो तपस्वी बोले अगर मैं धन चुन लेता तो इतना बेफिक्र शांत और भये मुक्त न होता और तुम्हारे जैसे सुकून की तलाश कर रहा होता। पर मैने ध्यान लगाना तपस्या करना चुना इसीलिए मैं खुश हूं।

शिक्षा ---धन से हम कुछ क्षणों की खुशी तो पा सकते हैं पर भय ,बेचैनी और सुकून खो देते हैं , वही पर तपस्या और ध्यान ऐसी अवस्था है जो हमे परम शांति और खुशी देती है।
"अर्थात ध्यान से बड़ा कोई धन नही है।"

©Deepika Vardhan khaani
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