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#बावरा मन# ओ मनवा तू क्यों इतना विचलित हो रहा है

#बावरा मन#

ओ मनवा तू क्यों इतना विचलित हो रहा है रे
जो नहीं है तेरा तू उसके पीछे क्यूं बावरा हो रहा रे।

कर अपने लक्ष्य पर केन्द्रित ध्यान 
भर आसमान में पंख लगा ऊंची उड़ान
क्यों खुद को एक निर्मोही के चक्कर में खो रहा रे।

क्यों बना फिरे है एक मुसाफ़िर के कदमों की धूल
जो चला गया तुझे समझकर उड़ती धूल
क्यों उसके पीछे पीछे बावरा भागे रे।

यह नहीं है तेरे जीवन परिभाषा
क्यों रखे बेमिलन प्रेम की अभिलाषा
कर हिम्मत तू आगे बढ़ता जा रे।

कर दृढ़ता से निश्चय,
कर मेहनत से जग को फतेह
क्यों बना भागे बदलते मौसम के पीछे पीछे रे।

राह में सुंदर उपवन होगें
मनमोहक सुंदर उसमें न जाने कितने पुष्प होगें
रख अपने लक्ष्य पर केन्द्रित ध्यान 
क्यों छुई मुई के पीछे पीछे भागे रे।

©Poonam jilova #Sea
#बावरा मन#

ओ मनवा तू क्यों इतना विचलित हो रहा है रे
जो नहीं है तेरा तू उसके पीछे क्यूं बावरा हो रहा रे।

कर अपने लक्ष्य पर केन्द्रित ध्यान 
भर आसमान में पंख लगा ऊंची उड़ान
क्यों खुद को एक निर्मोही के चक्कर में खो रहा रे।

क्यों बना फिरे है एक मुसाफ़िर के कदमों की धूल
जो चला गया तुझे समझकर उड़ती धूल
क्यों उसके पीछे पीछे बावरा भागे रे।

यह नहीं है तेरे जीवन परिभाषा
क्यों रखे बेमिलन प्रेम की अभिलाषा
कर हिम्मत तू आगे बढ़ता जा रे।

कर दृढ़ता से निश्चय,
कर मेहनत से जग को फतेह
क्यों बना भागे बदलते मौसम के पीछे पीछे रे।

राह में सुंदर उपवन होगें
मनमोहक सुंदर उसमें न जाने कितने पुष्प होगें
रख अपने लक्ष्य पर केन्द्रित ध्यान 
क्यों छुई मुई के पीछे पीछे भागे रे।

©Poonam jilova #Sea