मेरी नजरें प्यासी हैं, कहे नज़रों से मिल जाओ बना टूटा सा पत्ता दिल, कहे शजरों से मिल जाओ कहूँ कैसे म इनको ये महोब्बत मैं भी करता हूँ, मगर डरता पिला के नयन,कहदे मय में मिल जाओ अदब का इल्म है मुझको, मगर दिल अब्द(दास) ना मेरा असद(शेर, सिंह) सा घूमता फिरता, वही एक ढूंढता चेहरा कहा कितनी दफा इसको, अमानत है किसी की वो मगर माने ना इक मेरी, कहे तुम छीन के लाओ दिखाता झूठ खुद को खुद, मैं हंसता देख शीशे को खुदा कहता मिला सब कुछ, मैं रोता देख हिस्से को मेरी मुठ्ठी में बालू है, दबाओ छूट जाती है अड़ा है दिल मेरा फिर भी, कहे मिट्टी में मिल जाओ बहाना दिल का लेता हूँ, भुला तो मैं भी ना पाया मेरी थी वो मैं उसकी रूह, चला था बन के मैं साया ना छोड़ो बीच मे मुझको, सफर तो आधा बाकी है तुम्हारा साथ इतना था, कहा तुम लौट के जाओ ✍️ SK #हमसफर❤️