रोना है तुम्हें तो एक बार आसमान देख लो, चाँद- तारे समेटे है जो उसका ईमान देख लो ।। रोना होता है उसे, कभी तो बादल बनके रो लेता है. छुपा के चाँद तारों को सामने खुद आ जाता। है।। कितना सूनापन है अन्दर उसके, पर रोता है वो हम सबसे छुपके ।। दिन में सूरज, रात में तारों से भर जाता है, और खुद सूरज- तारों की गर्मी से जल जाता है। चाँद भी मज़ाक करता है, कि पूर्णिमा के बाद जाने लगता है, वो बेचारा चुप रहकर फिर अमावस के इन्तज़ार में लग जाता है। मैं ये नहीं कहती कि तुम आसमान से कुछ सीख लो, रोना है अगर तुम्हें तो एक बार आसमान देख लो !! ©Richa Dhar #Humआसमान