चाँद ओर आसमान का , रिस्ता गहेरा है हर वक्त क्यु, बादल जैसा , कोइ पहेरा है चीर कर निकल गया , तिर ए नज़र दिल घाव रुहाना भीतरी, सचमुच दिल गहेरा है अंजाम क्या उनका, ओर अंदाज़ भी क्या? रोशन चहेरे को करता , हलका सुनहरा है छुकर गुल का हसीन हुश्न,ओर नजा़कत भी शबनमी का सफर , सुरज जैसा सुनहरा है भीगा सा ,हलका सा, अहेसास पलकों पर शायद नज़रों से ना निकले, वो एक पहेरा है. #Dosti चाँद ओर आसमान का , रिस्ता गहेरा है हर वक्त क्यु, बादल जैसा , कोइ पहेरा है चीर कर निकल गया , तिर ए नज़र दिल घाव रुहाना भीतरी, सचमुच दिल गहेरा है अंजाम क्या उनका, ओर अंदाज़ भी क्या?