हां रावण पंसद है मुझे, पर उनकी तरह अंहकार और कपट करना मुझे नही आता, शंकूनी भी सही है नजरो मे मेरे कुछ हद तक, पर उनकी तरह षडयंत्र रचना मुझे नही आता, पंडवो की गाथा पंसद है मुझे, पर उनकी तरह अपने हक के लिए, अपनो से ही लड़ना मुझे नही आता, महाकाल की भक्त जरूर हूं, पर रूद्र रूप लेकर अपनो का ही सर काटना मुझे नही आता, कान्हा सा चंचल है मन जरूर मेरा, पर किसी के साथ छल करना मुझे नही आता, हर बार सबित करना खुद को दूनिया के सामने मुझे नही आता, किसी का चम्मच बन जाऊं ये हुनर मुझे नही आता, और घुंटने टेक दू हर किसी के समाने मैं, ये भी हुनर मुझे नही आता। Sakshi Devangan #हुनर_नही_आता....