फूल नहीं चाहा था हमने फिर काँटे क्यों पाए जब कोई अपना ही नहीं था चोट कहाँ से खाए कहने को तो गैर सभी हैं फिर क्यों ताने दे जाए जिन की खातिर रन्ज उठाते वो ही बेगाने बन जाए दामन अपना खाली ही था द॔द कहाँ से आए Kavya Sudha परायापन