दिल से करो ख्वाइश तो होती है पूरी, तेरा मेरा प्यार नहीं है कोई मजबूरी। महकती हूँ तेरी साँसों में हर घड़ी, हर पहर, ये है महोब्बत की खुशबू,न समझ कस्तूरी वस्ल की आस में जो बांधा धागा तूने प्रेम का, जुदाई को अपनी न समझ तू मेरी रंजूरी। तू बन जा कलम और मैं स्याही बन जाऊँ तेरी हर ग़ज़ल,हर नज़्म होगी मुझी से पूरी। स्नेहा को खुद से यूँ समझ न खुद से जुदा, बन गई मैं तेरी मुकद्दर, नहीं रहे कहानी अधूरी। #स्नेहा _अग्रवाल #मैं अनबूझ पहेली