मै समझ ना सका तेनू या तू समझ ना पाया ये खेल इश्क़ का छल्ला ना कोई समझ है पाया इक खो देता है सबकुछ अपना इक हसना भुल जाता है वो सालो सालो का वक़्त गवाकर इश्क़ का इक इक दिन भुलाता है आसुओ के सहारे जख्म धोना आसन नही है रब्बा वो पानी समझ कर छल्ला खारे आंसू को पी जाता है ना कोई ओर दिखता उसको ना ही कोई भाता है मौसम जितना सुहाना हो गम उतना ही दे जाता है -Janeमन ❤ #Khyaal #me #janeमन