छलकती आँखे कौन पढ़ पाया है, हमारे दर्द को तो हमने ही अपनाया है, समझ पाए हमको कभी , कहा कोई ऐसा मिल पाया है। ♥️ Challenge-937 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।