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#OpenPoetry इतनी भी जल्दी जाने की क्या ज़िद हैं लौ

#OpenPoetry इतनी भी जल्दी  जाने की क्या ज़िद हैं
लौट आओ की अभी हल्दी घाटी बाकी है
अभी तो बनना शुरू हुआ हैं भारत अपना
सोने की चिड़िया खातिर तेरा काम बाकी है
तुम हो दुर्गा तुम हो शक्ति
मर्यादा की हैं प्रतिमूर्ति
ये धर्म तेरा है धाम तेरा है
आसमां पर अब नाम तेरा हैं
कश्मीर तेरे प्रयासों की बस एक झांकी है
तेरे अथक प्रयासों का फल अभी बाकी है
तेरा काम तेरा ईमान जैसे भारत माँ की है
हँसेगी सुरसा संसद की गलियारों से अब 
लौट आओ की सिंधु के तट पर शाम बाकी है
#सुषमास्वराजविलीन 06/08/2019
#OpenPoetry इतनी भी जल्दी  जाने की क्या ज़िद हैं
लौट आओ की अभी हल्दी घाटी बाकी है
अभी तो बनना शुरू हुआ हैं भारत अपना
सोने की चिड़िया खातिर तेरा काम बाकी है
तुम हो दुर्गा तुम हो शक्ति
मर्यादा की हैं प्रतिमूर्ति
ये धर्म तेरा है धाम तेरा है
आसमां पर अब नाम तेरा हैं
कश्मीर तेरे प्रयासों की बस एक झांकी है
तेरे अथक प्रयासों का फल अभी बाकी है
तेरा काम तेरा ईमान जैसे भारत माँ की है
हँसेगी सुरसा संसद की गलियारों से अब 
लौट आओ की सिंधु के तट पर शाम बाकी है
#सुषमास्वराजविलीन 06/08/2019