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अधूरी ख़्वाहिश कैसे मिलाऊ नजरे तुझसे मेरे बच्चे, सो

अधूरी ख़्वाहिश कैसे मिलाऊ नजरे तुझसे मेरे बच्चे,
सोचा था इस बार तेरे फटे जूते बदल दूंगा।।
पर मेरी छोटी सी महिने भर की तन्ख्वाह ना जाने 
क्युं इस सर्द रातो सी ठिठुर गई,
तेरी नन्ही ख्वाहिश को पूरा करने से पहले ही
दादी की दवाई,तो गुड्डी की फटी फ्रॉक मे ही बिखर गई। ।

कैसे मिलाऊ ये नजरें तुझसे मेरे बच्चे,
अधूरी ख़्वाहिश कैसे मिलाऊ नजरे तुझसे मेरे बच्चे,
सोचा था इस बार तेरे फटे जूते बदल दूंगा।।
पर मेरी छोटी सी महिने भर की तन्ख्वाह ना जाने 
क्युं इस सर्द रातो सी ठिठुर गई,
तेरी नन्ही ख्वाहिश को पूरा करने से पहले ही
दादी की दवाई,तो गुड्डी की फटी फ्रॉक मे ही बिखर गई। ।

कैसे मिलाऊ ये नजरें तुझसे मेरे बच्चे,