इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना। आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं। #KisanNahiToDeshNahi #IndiaWithFarmers #KisanAndolan ©MANJEET SINGH THAKRAL इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है। सन 1906-07 में किशन सिंह और अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के पिता और चाचा) ने अंग्रेज़ों के तीन काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन खड़ा किया था, जिन्हें बाद में अग्रजों को वापस लेना पड़ा। अगर अंग्रेज उन क़ानूनों को वापस नहीं लेते तो ज़मींदार अपनी ही ज़मीन पर मज़दूर हो जाते। “पगड़ी संभाल जट्टा” इस आंदोलन का नारा बना। आज़ भी कमोबेश हालात वही हैं, वही तीन काले क़ानून आज हैं, बस अंग्रेज़ों की जगह उनके नौकर आ गये हैं। #KisanNahiToDeshNahi #IndiaWithFarmers #KisanAndolan #Sunrise