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तुम्हारे इंतज़ार में मुरझा गया था जो गुलदस्ता, जिस

तुम्हारे इंतज़ार में 
मुरझा गया था जो गुलदस्ता,
जिसमें तुम्हारी ज़ुल्फों से चुनकर 
कुछ कलियाँ लगाई थीं मैंने,
देखो उस गुलदस्ते में 
नए फूल खिल गए हैं 
तुम आओ तो सही ..

©Kavi Kumar Ashok
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