मैंने ज़िन्दगी में ग़म हजार देखें, देखा दुखों का शैलाब भी है मगर ज़िन्दगी ग़म का मोहताज नहीं, वो खुशियों की मोहताज भी है आना जाना तो है दोनों का, कभी खुशियों की सुबह तो कभी ग़म का सांझ भी है कुछ ज़िन्दगी का है शुक्रिया, तो कुछ ज़िन्दगी से ऐतराज भी है हर ग़म को भुलाओ, आओ मुस्कुराओ, क्यों इतना ख़ुद से तू नाराज़ भी है सबकुछ तो है, कुछ तो बदला नहीं, देख जो कल था वो आज़ भी है "मुस्कुराना भी ज़िन्दगी की ज़रूरत है" ये एक खूबसूरत सा आगाज़ भी है इस ज़रूरत को समझो तुम, ये हर रोग की दवा, और उसका इलाज भी है "प्रिय लेखकों" आप सभी को "विश्व हास्य दिवस" मुबारक हो। हँसते रहिये, मुस्कुराते रहिये और सेहत बनाइये। ऐसी महामारी( वबा) के वक़्त घर में रहिये और सेहतमंद रहिये। कृपया "Caption" को ध्यानपूर्वक पढ़े। आज के शब्द है👉 🌸"मुस्कुराना भी ज़िन्दगी की ज़रूरत है"🌸 🌻"Muskurana Bhi Zindagi Ki Zaroorat Hai"🌻