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दिल में दर्द था भरा, पर जमाने को देखकर मुस्कराना ज

दिल में दर्द था भरा, पर जमाने को देखकर
मुस्कराना जरूरी था, आंखों में आंसू थे
वफाओं के, पर देख जमाने को छिपाना
जरूरी था, निशान चोट के दिल पर दर्द
उकेर रही थीं, पर दर्द को भुलाकर जमाने 
की बातों में लग जाना जरूरी था, क्यों हुआ
दिल पर ये सितम अब दिल को समझाना 
जरूरी था, साथ छूट गया जो उनका जमाने 
से छिपाना जरूरी था, परवाह मुझे भी न
था पहले जमाने का ,ये दिल जो तेरा दीवाना था
में जमाने को तवाजो न देता था, तेरा साथ जो मेरे
साथ था,अब जो तूने मेरा साथ छोड़ दिया, जमाने
के तानों ने मुझे जीने न दिया, हर वक्त कोशिश की
ये बात छिपाने की , मगर बात ही कुछ ऐसी थी ,की
सबको मालुम पड़ जानी थी, मेरी ईश्क की अधूरी
कहानी,हर किसी की जुबां पर आ जानी थी
दिल में दर्द भरा था,पर ज़माने को देखकर मुस्कराना
जरूरी था.

©पथिक
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