वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि जो समय बीत गया है अब लौट कर कहां आयेगा। कल की फिक्र छोड़ मुझे अब आज में जीना होगा। वक्त के साथ चलूं तो ही वक्त साथ निभायेगा।अब यही एहसास मेरे काम आयेगा। दुनिया- जमाना देखता रह जायेगा। देखो अब ये वक्त मुझे कहां ले जायेगा। #वक्त Anand Kumar (अपना विचार) भारतवंशी प्रेम बरनवाल ✍️w_vishwakarma Vipul Pandey