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कहाँ गलत था वीर कर्ण, जो मातृ प्रेम को तरसा था, क्

कहाँ गलत था वीर कर्ण,
जो मातृ प्रेम को तरसा था,
क्यूँ ना कहे दुर्योधन को भाई,
जो भातृ प्रेम को परखा था,
कहाँ गई थी तब ममता,
जब पलना धार में बहता था,
रोता-चिल्लाता माँ के दूध को तरसा था,
कैसे कुन्ती उसको अब धर्म का पाठ पढ़ाती है,
औऱ ख़ुद के बच्चों के प्राणों की भीख ख़ुद के बेटे से ही माँगती है,
अब बेटा कह उसको कौन सा प्रेम बरसा देगी,
दे उसको बेटे का दर्जा कौन सा मान बढ़ा देगी,
वो तो दानी कर्ण था जो धर्म का मार्ग दिखा गया,
ख़ुद बलशाली हो अपने भाइयों से हार गया,
अब तो वो माँ ना ख़ुश ना रो सकती थी,
एक बेटे की जीत औऱ दूसरे की मृत्यु पर ना सो सकती थी,
जो हिम्मत कर बचपन मे कर्ण को अपनाती,
आज सारे बेटों का सुख एक साथ पाती!!! #NojotoQuote #वीर कर्ण
Pragya Ratan Shrivastava
कहाँ गलत था वीर कर्ण,
जो मातृ प्रेम को तरसा था,
क्यूँ ना कहे दुर्योधन को भाई,
जो भातृ प्रेम को परखा था,
कहाँ गई थी तब ममता,
जब पलना धार में बहता था,
रोता-चिल्लाता माँ के दूध को तरसा था,
कैसे कुन्ती उसको अब धर्म का पाठ पढ़ाती है,
औऱ ख़ुद के बच्चों के प्राणों की भीख ख़ुद के बेटे से ही माँगती है,
अब बेटा कह उसको कौन सा प्रेम बरसा देगी,
दे उसको बेटे का दर्जा कौन सा मान बढ़ा देगी,
वो तो दानी कर्ण था जो धर्म का मार्ग दिखा गया,
ख़ुद बलशाली हो अपने भाइयों से हार गया,
अब तो वो माँ ना ख़ुश ना रो सकती थी,
एक बेटे की जीत औऱ दूसरे की मृत्यु पर ना सो सकती थी,
जो हिम्मत कर बचपन मे कर्ण को अपनाती,
आज सारे बेटों का सुख एक साथ पाती!!! #NojotoQuote #वीर कर्ण
Pragya Ratan Shrivastava
premarya3202

Prem arya

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