ऐ उमर !कुछ कहा मैंने पर शायद तूने सुना नहीं तू छीन सकती है बचपन मेरा पर बचपना नही बुझ जाते है कुछ दिए तेल की कमी से हर बार कुसूर हवा नहीं ©Nidhi the diffuser Reality of Life