आज फिर… पौ फट कर आई है, आज फिर नया पन्ना भरना है। रात देर तक तकिये पर सोई, सपनों ने नींद चुराकर नींद मेरी खोई। सपने कुछ बुलबुले बन इस तरह बहका गए, अपने भी इनकी तरह सपना दिखा गए। इक सपना ऐसा भी था, मनपरिवर्तित कर गया, बन वो हकीकत जीवनपर्यंत हृदय बहला गया। जी रही हूँ सपनों को बना हकीकत आज, पन्ने भर रहें हैं जीवन के बन नित नए साज़। आज फिर मौका है जी लेने दो, ऐ ज़िन्दगी, डर को मर जाने दो, हौसले को जीने दो ज़िन्दगी। । #rztask482 #rzलेखकसमूह #restzone