दिन गए रात गई बरस गए गणे बीत , र बाबली तेरी आंख्या के तीर इब चाल्या कोन्या , थोड़ा कुछ अपणे माडे टैम त् भी सिख ...... अमित माहला दिन गए रात गई बरस गए गणे बीत , र बाबली तेरी आंख्या के तीर इब चाल्या कोन्या , थोड़ा कुछ अपणे माडे टैम त् भी सिख ...... अमित माहला