जी करता सब छोड़ तेरे पास आऊं, और गुम हो जाऊं, फिर कभी लौट ना पाऊं, ना पहचान,ना ठिकाना, ना जमीन,ना आसमान का पहरा, फिर याद आता हैं, महफूज़ नहीं अपने घर के बाहर कहीं, मैं लड़की हूँ, अकेले घूमने कैसे निकलूँ, मैं लड़का नहीं, किसी ना किसी का साथ चाहिए, इतना बेबस किया संसार ने, कैसे आऊं तेरे पास मरने के बाद भी चार कांधे चाहिए, श्राद्ध,तर्पण चाहिए।