तुझसे मिल के भी, मिल नहीं सकता, हाल-ए-दिल मैं, कह नहीं सकता, ये बंदिश भी, क्या चीज़ होती है, मौत सामने है, पर मर नहीं सकता, हाल-ए-दिल आज सुनाने को, तेरी महफ़िल में चला तो आया हूँ, पर सर-ए-महफ़िल तुझे, रुसवा मैं कर नहीं सकता, रोया तो होगा तूभी, अपनी बेबसी पे बहुत, पर मैं वो बेबस हूँ, जो रो भी नहीं सकता, तुझसे मिल के भी, मिल नहीं सकता, हाल-ए-दिल मैं, कह नहीं सकता...!!! Comp. By javed....✍🏻 ©Md. Javed Saudagar #बंदिश