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दिवाना हूँ मैं आज उसका जिसकी कलम में भी दम था ज़

दिवाना हूँ मैं आज उसका 
जिसकी कलम में भी दम था 
ज़हर की शीशि में ढूंढते रहे 
जीने की दवा 
पीकर देखा 
तो उसमें भी ग़म था

©Parmod Narwal
  #jahar si जिन्दगी

#jahar si जिन्दगी

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