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गांव में तालाब, उसमें पशु और पक्षी, एक टक नजर अब,

गांव में तालाब,
उसमें पशु और पक्षी,
एक टक नजर अब,
चोंचा मारता बगुला,
दिखता नहीं तालाब।
पहले कभी देखता था,
गांव गांव में तालाब,
सिंघाड़ा और मछली,
गांव बाजार तोलता था।
मत कर अब आत्मसात,
उपदेशों में रह गया गांव,
पेट विलासी बन गया,
तालाब बंजर पट गया,
शहर पलायन हो गया गांव।।बाबा कविता#
गांव में तालाब,
उसमें पशु और पक्षी,
एक टक नजर अब,
चोंचा मारता बगुला,
दिखता नहीं तालाब।
पहले कभी देखता था,
गांव गांव में तालाब,
सिंघाड़ा और मछली,
गांव बाजार तोलता था।
मत कर अब आत्मसात,
उपदेशों में रह गया गांव,
पेट विलासी बन गया,
तालाब बंजर पट गया,
शहर पलायन हो गया गांव।।बाबा कविता#