साँझ बेशक बात नहीं करती बात कभी। फिर भी उनसे मिलने को दिल बेकरार क्यू है उनकी याद तो अब रात को सोने भी नहीं देती जान हमको उनसे इतना प्यार क्यू है। मनीष अग्रवाल गुलावठी