मिट्टी जैसी हूं मैं, रेत जैसे हो तुम मुझे चिपकने की आदत है और तुम्हें फिसलने की.. पर तुम शायद भूल गए , तुमसे ही मेरे आस्तित्व का जन्म हुआ है। मैं तुम्हारी अपनी हूं.. यूं मुझसे न दूर जाया करो इतना न मुझको सताया करो मिलते हैं प्यार करने के मौके बहुत कम कभी - कभी तुम भी मेरे तरह बन जाया करो.. ©Kalpana Srivastava #रेत