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मैं अनाथ, पिता का अर्थ भला क्या जानू मुझसे अर्थ न

मैं अनाथ, पिता का अर्थ भला क्या जानू
मुझसे अर्थ न पूछो, मैं भला कैसे पहचानूँ
जो है ही नहीं, मेरे जीवन में उससे अनजान हूँ मैं
मैं तो मंदिर में बैठे शिव को ही अपना पिता मानू
  𝕊𝕙𝕒𝕪𝕒𝕣𝕚 𝔸𝕒𝕛 𝕓𝕙𝕚 
प्रतियोगिता संख्या - 3  में भाग लेने के लिए हमें Follow करें फिर Collab करें। 
1. दिए गए विषय पर रचना‌ लिखें ।
2. रचना सिर्फ 4 पंक्तियों में होनी चाहिए।
3. उर्दू रचनाकार उर्दू के शब्दों में रचना कर सकते हैं पर लिपि केवल हिन्दी होनी चाहिए
4.  मात्राओं का ध्यान रखें।
5. रचना मौलिक होनी चाहिए।
6. कम से कम शब्दों में अच्छी से अच्छी रचना‌ लिखें, पंक्तियाँ‌ ज़्यादा लम्बी न करें ।
मैं अनाथ, पिता का अर्थ भला क्या जानू
मुझसे अर्थ न पूछो, मैं भला कैसे पहचानूँ
जो है ही नहीं, मेरे जीवन में उससे अनजान हूँ मैं
मैं तो मंदिर में बैठे शिव को ही अपना पिता मानू
  𝕊𝕙𝕒𝕪𝕒𝕣𝕚 𝔸𝕒𝕛 𝕓𝕙𝕚 
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1. दिए गए विषय पर रचना‌ लिखें ।
2. रचना सिर्फ 4 पंक्तियों में होनी चाहिए।
3. उर्दू रचनाकार उर्दू के शब्दों में रचना कर सकते हैं पर लिपि केवल हिन्दी होनी चाहिए
4.  मात्राओं का ध्यान रखें।
5. रचना मौलिक होनी चाहिए।
6. कम से कम शब्दों में अच्छी से अच्छी रचना‌ लिखें, पंक्तियाँ‌ ज़्यादा लम्बी न करें ।