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यार दोस्त सब मेरे, गधों सा बस काम कर रहे हम ठहर के

यार दोस्त सब मेरे, गधों सा बस काम कर रहे
हम ठहर के बस वही, गेंडे सा आराम कर रहे! 

कौड़ीयों के ही भाव सही, कुछ वक्त को नीलाम कर रहे
हम खालीपन से भरे पड़े, खुद ही से कलाम कर रहे!

भाग दौड़ कर रेस लगाकर, सब खुद को हैरान कर रहे 
हम सोच सोच कर सारी बातें, खुद ही में मुस्कान भर रहे! 

प्रतियोगिता में डटे हुए सब, दूसरों पर इल्ज़ाम कर रहे
दूर खड़े सब देख देख कर, हम सबको प्रणाम कर रहे! 

तरक्की की चाह को रखकर, गलती का एहतराम कर रहे 
हम कौन सा सज्जन ठहरे, जो खुद को प्रधान कर रहे! 

लूट खसोट कर पर-सम्पत्ति, क्यूँ सब अपने नाम कर रहे 
नकारत्मक भावों से घिरकर, हम खुद को गुलाम कर रहे!

बिना जमीन से जुड़कर देखे, फैसला अब दीवान कर रहे 
हम जियें या मर जाये, चर्चा ये किसान कर रहे! 

बोल चाल की भाषा में ही, सब गाली ये जुबान कर रहे
दो दिन की ही कोशिश में ही, हम भी खुद को आम कर रहे! 

खीज खीज कर कुंठा में ही, सब खुद को हैवान कर रहे 
सही गलत से छान छान कर, हम खुद को भगवान कर रहे!  समाज और हम (मैं) 

यार दोस्त सब मेरे, गधों सा बस काम कर रहे
हम ठहर के बस वही, गेंडे सा आराम कर रहे! 

कौड़ीयों के ही भाव सही, कुछ वक्त को नीलाम कर रहे
हम खालीपन से भरे पड़े, खुद ही से कलाम कर रहे!
यार दोस्त सब मेरे, गधों सा बस काम कर रहे
हम ठहर के बस वही, गेंडे सा आराम कर रहे! 

कौड़ीयों के ही भाव सही, कुछ वक्त को नीलाम कर रहे
हम खालीपन से भरे पड़े, खुद ही से कलाम कर रहे!

भाग दौड़ कर रेस लगाकर, सब खुद को हैरान कर रहे 
हम सोच सोच कर सारी बातें, खुद ही में मुस्कान भर रहे! 

प्रतियोगिता में डटे हुए सब, दूसरों पर इल्ज़ाम कर रहे
दूर खड़े सब देख देख कर, हम सबको प्रणाम कर रहे! 

तरक्की की चाह को रखकर, गलती का एहतराम कर रहे 
हम कौन सा सज्जन ठहरे, जो खुद को प्रधान कर रहे! 

लूट खसोट कर पर-सम्पत्ति, क्यूँ सब अपने नाम कर रहे 
नकारत्मक भावों से घिरकर, हम खुद को गुलाम कर रहे!

बिना जमीन से जुड़कर देखे, फैसला अब दीवान कर रहे 
हम जियें या मर जाये, चर्चा ये किसान कर रहे! 

बोल चाल की भाषा में ही, सब गाली ये जुबान कर रहे
दो दिन की ही कोशिश में ही, हम भी खुद को आम कर रहे! 

खीज खीज कर कुंठा में ही, सब खुद को हैवान कर रहे 
सही गलत से छान छान कर, हम खुद को भगवान कर रहे!  समाज और हम (मैं) 

यार दोस्त सब मेरे, गधों सा बस काम कर रहे
हम ठहर के बस वही, गेंडे सा आराम कर रहे! 

कौड़ीयों के ही भाव सही, कुछ वक्त को नीलाम कर रहे
हम खालीपन से भरे पड़े, खुद ही से कलाम कर रहे!

समाज और हम (मैं) यार दोस्त सब मेरे, गधों सा बस काम कर रहे हम ठहर के बस वही, गेंडे सा आराम कर रहे! कौड़ीयों के ही भाव सही, कुछ वक्त को नीलाम कर रहे हम खालीपन से भरे पड़े, खुद ही से कलाम कर रहे! #yourquote #yqbaba #yqdidi #yourquotebaba #yqdidiquotes #मलंग #yourquotedidi #readmalang