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कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति । उत्तीर

कार्यार्थी भजते लोकं यावत्कार्य न सिद्धति ।
उत्तीर्णे च परे पारे नौकायां किं प्रयोजनम् ॥
अर्थ- जब तक किसी व्यक्ति का कार्य पूरा नहीं होता है तब तक वह दूसरों की प्रशंसा करते हैं और जैसे ही कार्य पूरा हो जाता है, लोग दूसरे व्यक्ति को भूल जाते हैं | यह ठीक उसी तरह होता है जैसे-नदी पार करने के बाद नाव का कोई उपयोग नहीं रह जाता है | कहनें का आशय यह है कि अपना स्वार्थ सिद्ध हो जानें पर उस व्यक्ति को भूल जाते है |

©Ramjeet Sharma ( Mr Wow )
  #gyanopedia  NISHU MISHRA Rajkumar अभिलाष द्विवेदी (अकेला) शिवन्या सिंह Irfan Saeed
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Ramjeet

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