जब बचपन में मुझे ढ़ेर सारी पत्रिकाएं पढ़ने को मिलती थी, तब लगती थी असली आजादी! जब पिताजी ने ,दादी और ताऊजी के मना करते रहने पर भी मेरी पढ़ाई नहीं रुकने दी थी, तब लगी असली आजादी! जब मेरे पिता ने मनपसन्द जीवन-साथी चुनने की मेरी इच्छा को नहीं दबाया था, तब लगी थी असली आजादी! हर निर्णय लेते समय, जब मेरी सहमति भी ली जाती थी, तब लगती थी असली आजादी! मैंने हर दफ़े मिलने वाली आजादी का अच्छे से उपयोग किया, तब हुई असली आजादी! मेरे पिता को कभी मुझ पर पछतावा नहीं हुआ, तब लगी थी असली आजादी! मैंने ख़ुद को मिली आज़ादी को अपनी बेटी तक पहुँचाया, तब हुई असली आजादी! मेरी बेटी पर मुझे नाज है,ये है मेरी असली आजादी!! #असली आजादी#18.08.20 #flyhigh